जैसे की ग्रुप एक ही टाइप के लेजर के संग्रह होते है इसमें आपको जानना जरुरी है की टैली में कितने प्रकार के लेजर ग्रुप होते हैं? टैली में 28 प्रकार के ग्रुप और 2 प्रकार के लेजर प्रेडिफाइंड होते हैं। टैली हमें पहले से बना हुआ Pre-defined Groups बना के देता जिसमे Primary Groups और Sub-Groups है। टैली में लेजर ग्रुप 28 pre-defined Groups के प्रकार होते है :
- 15 Primary Groups
- 13 Sub-Groups
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आप असीमित स्तर तक अपने हिसाब से स्वयं का Primary Groups और Sub-Groups बना सकते है। आप अपने बनाये हुए ग्रुप को Alter या Delete कर सकते है। लेकिन जो प्रेडिफाइंड वाला ग्रुप डिलीट नहीं होता। अब आपको पता चल गया होगा टैली में ग्रुप कितने होते है?
Pre-defined Ledger Groups
जैसे की हमने जाना टैली में 28 Pre-defined Groups है। यह सारे ग्रुप्स हर संगठन का एकाउंट्स के चार्ट का हिस्सा होते है। उदाहरण के लिए, Bank Accounts एक pre-defined group है। एक संगठन में जितने भी बैंक के खाते होंगे जैसे की एक्सिस बैंक अकाउंट, स्टेटबैंक अकाउंट, इंडियन बैंक अकाउंट, यह सारे Bank Accounts के ग्रुप में जायेंगे।
28 प्रेडिफाइंड ग्रुप्स में से 15 primary groups हैं। यहाँ primary groups यानी वो ग्रुप्स जो हर बिज़नेस संगठन के अकाउंट तैयार करने के लिए जरुरी होता है। आप प्राइमरी ग्रुप को डिलीट नहीं कर सकते। और 13 Sub-Groups हैं यह ग्रुप प्राइमरी ग्रुप के ही हिस्सा होते है। Sub-Groups के उदाहरण के लिए, Bank Accounts, Cash-in-hand, Stock-in-hand, Sundry Debtors यह सारे प्रेडिफाइंड Sub-Groups है लेकिन इनको एकाउंटिंग ट्रीटमेंट में Current Assets में लिए जाता है। तो Current Assets एक प्राइमरी ग्रुप हुआ और यह सारे Sub-Groups को प्राइमरी ग्रुप Current Assets के अंदर टैली ने प्रेडिफाइंड सब ग्रुप्स में बना रखा है।
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टैली में ग्रुप क्या होता है? और कितने प्रकार के होते हैं उसकी विस्तृत जानकारी (What is Group in Tally and type of group )
Group of Tally
टैली में निम्नलिखित ग्रुप पहले से बनी होते हैं जिनका प्रयोग किस प्रकार से किया जाता है इसका विस्तृत जानकारी दिया गया है.
1. Bank A/c
जब हम बैंक से संबंधित करंट अकाउंट, सेविंग अकाउंट, का लेजर बनाते हैं उसे बैंक अकाउंट ग्रुप में रखेंगे उदाहरण के लिए
- SBI bank a/c, PNB bank a/c
- राम 500 SBI में जमा किया |
- रमेश ने PNB से SBI में 20000 रु ट्रान्सफर किया |
- रिया ने HDFC बैंक से 500 रु निकाला |
2. Bank O/D A/c
जब हम किसी बैंक से लोन लिया है, तो उस बैंक लोन का जो लेजर बनाएंगे उसको हम bank o/d a/c या bank OCC A /c किसी भी एक ग्रुप में रखना होगा.
3. Branch /Division
जब भी कोई कंपनी जिसका बहुत सारी ब्रांच है वह भी अलग-अलग जिले या अलग अलग राज्य में तो वह ब्रांच डिवीजन के द्वारा बैंक अकाउंट खोल सकता है इस तरह के अकाउंट को हम ब्रांच डिवीजन के ग्रुप में रखेंगे.
4. Capital A/c
जब कोई व्यापारी अपना व्यापार शुरू करता है तो शुरू करने के लिए जो राशि अपने व्यापार में लगाता है उसके लिए जो लेजर बनाएंगे उसे capital account group मे रखेंगे. उदाहरण के लिए capital a/c, LIC A/c
5.Secure Loan
जब कोई ऐसा लोन लेते हैं जिसमें कोई सिक्योरिटी रखकर लोन लिया गया है उसे हम सिक्योर लोन के अंतर्गत रखेंगे उदाहरण के लिए आपने फाइनेंस से कोई लोन लिया है जैसे कार फाइनेंस पर ली है , बिल्डिंग को गिरवी रख पर लेना चाहते हैं इस तरह के लोन जिनमें आपको सिक्योरिटी रखकर फिर लोन ले रहे हैं ऐसे सभी लोन को हम सिक्योर लोन के अंतर्गत रखेंगे.
- Gold loan
- Property loan
- Bank loan
- Home loan etc.
6.Unsecure Loan
जब हम व्यापार में या किसी कारणवश अपने किसी मित्र या किसी संबंधित से कोई लोन लेते हैं, तो उसे हम अनसिक्योर्ड लोन के ग्रुप में रखेंगे. – personal loan
7.Loan and Advance (Assets)
जब आप salary के आधार पर अपने कर्मचारी को सैलरी लोन देते हैं, तो वह loan and advance ग्रुप के अंतर्गत रखेंगे. या किसी को एडवांस पेमेंट करना हो तो भी इस ग्रुप में रख सकते हैं.
- Advance payment
- Loan given to shiva
- Gst receivable
- Tds receivable
- Advance staff salary
8.Deposit (Assets)
साथियों जब भी हम कोई ऐसा इन्वेस्टमेंट करते हैं जिसमें हमें पहले से यह निर्धारित होता है कि हमें कितना लाभ मिलेगा हम कितना पैसा इन्वेस्ट कर रहा हूं और हमें इतने टाइम के बाद पैसा मिल जाएगा तो उसको हम डिपाजिट असेट्स के ग्रुप में रखेंगे.
उदाहरण के लिए आप बैंक में FD(FIX DEPOSIT), RD, PPF, BOND इस प्रकार के इन्वेस्ट करते हैं तो उसके बदले में एक निश्चित समय के बाद आपके मूल्य के साथ कुछ और पैसे मिल जाते हैं.
9.Investment
साथियों जब आप अपनी कोई राशि ऐसे जगह निवेश करते हैं जिसमें समय सीमा और लाभ पूर्व निर्धारित नहीं होते हैं और आपको यह भी नहीं पता होता है की लाभ होगा या हानि या फिर होगा तो कितने समय के बाद होगा.
उदाहरण के लिए :- शेयर मार्केट, मैचुअल फंड, लॉटरी आदि.
10.Direct Expense
साथियों किसी फैक्ट्री से संबंधित सभी प्रकार के खर्चा या हमारे द्वारा किसी वस्तु के निर्माण करने में जो पैसे खर्च होते हैं उन सभी लेजर को हम डायरेक्ट एक्सपेंस में रखते हैं.
प्रत्यक्ष व्यय की सूची (List of direct Expenses): –
- निर्माण चिंता में (In Manufacturing Concern):
- कच्चे माल की खरीद
- कारखाने के कर्मचारी को भुगतान की गई मजदूरी
- कारखाने के कर्मचारियों का वेतन
- फैक्टरी प्रकाश और ताप
- माल ढुलाई या गाड़ी अंदर की ओर
- कच्चे माल की खरीद पर चुंगी
- फैक्टरी किराया
- फैक्टरी उपयोगिताओं
- फैक्टरी भवन बीमा
- संयंत्र और मशीन पर मूल्यह्रास
- उपकरण सेटअप लागत
- उपकरण मरम्मत और रखरखाव
- कारखाने की आपूर्ति
- कारखाने के छोटे उपकरण और मरने के लिए खर्च किया गया
- आयात शुल्क
- कस्टम ड्यूटी
- डॉक प्रभार
- ईंधन, गैस और पानी
- रॉयल्टी
- पैकेजिंग सामग्री या शुल्क
- खरीद पर कमीशन
- व्यापारिक चिंता में (In trading Concern)
- सामान की खरीद
- माल ढुलाई या गाड़ी अंदर की ओर
- माल की खरीद पर चुंगी
- माल की उतराई
- आयात शुल्क
- कस्टम ड्यूटी
- डॉक प्रभार
- पैकेजिंग सामग्री या शुल्क
- खरीद पर कमीशन
उदाहरण के लिए मजदूरी, पावर बिल, फैक्ट्री रेंट, फैक्ट्री इंश्योरेंस आदि .
11.Indirect expense
कार्यालय(office) से संबंधित खर्चे इनडायरेक्ट एक्सपेंस ग्रुप में रखे जाते हैं. दूसरे शब्दों में आप समझ सकते हैं कि जो खर्च पूर्व निर्धारित होता है कि यह मंथ के लास्ट में आपका खर्चा होगा. वह इनडायरेक्ट एक्सपेंस में रखे जाते हैं.
कार्यालय(office) से संबंधित खर्चे इनडायरेक्ट एक्सपेंस ग्रुप में रखे जाते हैं. दूसरे शब्दों में आप समझ सकते हैं कि जो खर्च पूर्व निर्धारित होता है कि यह मंथ के लास्ट में आपका खर्चा होगा. वह इनडायरेक्ट एक्सपेंस में रखे जाते हैं.
उदाहरण के लिए Salay paid,
अप्रत्यक्ष व्यय की सूची (List of Indirect Expenses): –
- कार्यालय के कर्मचारियों का वेतन
- बिजली का बिल
- किराया
- करों
- माल ढुलाई या गाड़ी बाहर की ओर
- यात्रा व्यय
- छपाई और लेखन सामग्री
- डाक और टेलीग्राम
- बिक्री पर कमीशन का भुगतान
- प्रचार और व्यय
- लेखा और लेखा परीक्षा शुल्क
- कानूनी शुल्क
- कार्यालय का खर्चा
- मरम्मत और रखरखाव
- कर्मचारी कल्याण
- कर्मचारी का समूह बीमा
- मूल्यह्रास
- बुरा ऋण
- कार्यालय भवन बीमा
- मोबाइल और टेलीफोन व्यय
- ब्याज
- विविध व्यय
उदाहरण के लिए Salary paid,
12.Direct Income
किसी व्यापार में माल (goods) को बेचने पर जो राशि प्राप्त होती है वह डायरेक्ट इनकम ग्रुप के अंतर्गत रखे जाते हैं.
जैसे :- यदि हमारी एक स्टेशनरी की दुकान है और दुकान मे रखे हुए किसी पेन का थोक मूल्य 5 रू है तथा हम उस पेन को 6 रू मे बेचते हैं। तो हमे जो 1 रू का लाभ होगा। यही लाभ हमारी प्रत्यक्ष आय (Direct Income) कहलाती है
अब हम कुछ प्रत्यक्ष आय (Direct Income) के उदाहरण देखेंगे।
- Freight Charges Income – माल ढुलाई शुल्क आय
- Sale Commissions Received- बिक्री कमीशन प्राप्त हुआ
- Sale Discount Received -बिक्री छूट प्राप्त हुई
- Transport Charges Income -परिवहन शुल्क आय
- All Income Form Service ect.- सभी आय प्रपत्र सेवा आदि।
13.Indirect Income
वह सभी इनकम जो माल को बेचने के अलावा हमें प्राप्त होती है उन सभी लेजर को इनडायरेक्ट ग्रुप में रखते हैं जैसे
दोस्तों अब हम कुछ अप्रत्यक्ष आय (indirect income) के उदाहरण देखेंगे।
- Rent received (प्राप्त किराया)
- PPF A/c interest received ( PPF A/c से प्राप्त ब्याज)
- Bank interest received (बैंक से प्राप्त ब्याज)
- Old news Papers sale received (पुराने अखबार बेचने से प्राप्त आय)
- Discount received
- Commission received
- Discount Receipt, rent receipt, interest receipt,
14.Duty and Tax
साथियों income tax को छोड़कर हम जितने भी तरह का टैक्स हम प्रयोग करते हैं उन सभी लेजर को ड्यूटी और टैक्स ग्रुप में रखते हैं.
उदाहरण के लिए GST, TDS, TCS
15.Fix Assets
व्यापार में ऐसा संपत्ति अर्थात सामान जो बेचने के लिए नहीं खरीदी गई है, वह व्यापार को चलाने में प्रयोग किया जाता है, और वह लंबी अवधि के लिए होता है उसे फिक्स असेट्स के ग्रुप में रखते हैं.
उदाहरण के लिए मान लीजिए पेपर का गिलास बनाने की एक बिजनेस है, तो पेपर के गिलास बनाने के लिए आपने जो मशीनें खरीदी हैं, जो मशीन उस गिलास को बनाती है, वह फिक्स्ड असेट्स है, लेकिन उस गिलास बनाने में आप जो मटेरियल खरीद के ला रहे हैं, और फिर गिलास तैयार होने के बाद वह बेच देते हैं, तो जो सामान बेचने के लिए लाते हैं वह करंट असेट्स होता है, लेकिन वह सामान जो बेचने के उद्देश्य से नहीं लाते हैं, वह आपके व्यापार को चलाने में सहयोग करता है, वह fixed assets होता है, जैसे गिलास बनाने की मशीन है, वह fixed assets है, क्योंकि वह मशीन जब तक रहेगा तब तक आप गिलास बना पाएंगे. जैसे machinery, building, land, computer, furniture
16.Provision
व्यापार में भविष्य कोष से बचने के लिए कुछ फंड बनाने पड़ते हैं उन्हें ही प्रोविजंस कहते हैं, जैसे provision for bad debts, provision for income tax आदि
17.Purchase A/c
व्यापार में हम जो भी माल खरीदते हैं, और खरीदे गए माल को रिटर्न करते हैं, उन सभी प्रकार के लेजर को परचेज अकाउंट ग्रुप में रखते हैं, उदाहरण के लिए purchase a/c,
Purchase return a/c
18.Sales A/c
जब किसी बिजनेस में अपने माल (goods) को बेचते हैं, और बेचे हुए माल को जब कोई ग्राहक रिटर्न करता है, तो वह sales a/c ग्रुप में रखते हैं.
जैसे sales a/c
Sales return a/c
19.Sundry creditor
व्यापार में हम जिस किसी व्यक्ति (parties) या Traders से उधार (credit) माल(goods) को खरीदते तथा जिन्हें पैसे देने होते हैं, उनको सैंड्री क्रेडिटर कहा जाता है, और उन सभी लेजर को हम जिससे माल खरीदा है उसे sundry creditor ग्रुप में रखेंगे.
- किसी से हमने उधार में मॉल ख़रीदा हो
- किसी से हमने उधार में रुपया लिया हो
20.Sundry debtor
व्यापार में हम किसी व्यक्ति से अपना माल बेचते हैं तथा जो लोग हमको पैसे देंगे वह सभी sundry debtor कहे जाते हैं. इसलिए व्यापार में जिन लोगों से अर्थात ग्राहक से सामान बेचते हैं तो उनका जो लेजर बनाएंगे उसे sundry debtor ग्रुप में रखेंगे.
21.CASH IN HAND
व्यापार में जो राशि हमको cash प्राप्त होती है, अर्थात हाथो हाथ किसी व्यक्ति से Money प्राप्त होता है वह कैश cash कहते हैं.
टैली प्राइम पहले से ही कैश का लेजर बना होता है सिर्फ आपको अल्टर में जाकर संशोधन कर सकते हैं
22.CURRENT LIABILITIES
व्यापार में कुछ ऐसे लेन-देन होते हैं, जिन को पैसा देना या लेना हमारा दायित्व होता है, जैसे मान लीजिए आपके व्यापार में कोई कर्मचारी है, और उसका सैलरी पिछले मंथ(month) का या पिछले साल (years) का बाकी है तो उसका पैसा देना आपका दायित्व है, या आप किसी बैंक से लोन लिए हैं, तो वह बैंक का पैसा रिटर्न करना समय अवधि के अनुसार आपकी दायित्व(liabilities) है.
इस प्रकार का जब कोई Ledger Tally में बनाते हैं तो उसको current liabilities के ग्रुप में रखते हैं.
23.Reserve Surplus
बिजनेस में कुछ ऐसे लेजर बनाने पड़ते हैं जो भविष्य की प्लानिंग के लिए पैसे रखने पड़ते हैं, उसके लिए जो लेजर बनाया जाता है, उनको reserve surplus ग्रुप में रखते हैं.
24.Suspens A/c
व्यापार में कुछ ऐसे राशि होती है जिनके बारे में कुछ पता नहीं होता की वह किस प्रकार की राशि है तो उस उस प्रकार के लेजर को सस्पेंस अकाउंट goup में रखते हैं.
25.Stock in Hand
बिजनेस में कुछ कच्चे माल (raw materials) किसी वस्तु के निर्माण के लिए मंगाना पड़ता है, तो उसी सभी प्रकार की कच्चे माल( raw materials) को स्टॉक इन हैंड ग्रुप में रखेंगे.
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